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Friday 14 July 2017

*नेकियों की दो किस्मे*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     नेकिया दो किस्म की होती है : (1) जिन का करना हम पर फ़र्ज़ या वाजिब होता है जेसे नमाज़, रोज़ा, वगैरा तो ऐसी नेकियां हर सूरत में करनी ही होगी क्यू की इन की अदाएगी पर षवाब और अदमे अदाएगी पर मलामत करने के साथ साथ सज़ा भी है। (2) वो नेकियां जो मुस्तहब्बात के दर्जे में है जेसे नवाफ़िल वगैरा यानी अगर करे तो षवाब और न करे तो गुनाह नही लेकिन षवाब से बहर हाल महरूम रहेगे।

*_क्या नेकी कमाना मुश्किल काम है ?_*
     हमारी अक्षरिय्यत इस वस्वसे का शिकार हो कर नेकियों की तरफ क़दम नही बढती की "नेकियां कमाना बहुत मुश्किल है" मगर हैरत उस वक़्त होती है की जब यही लोग दुन्यवी मालो दौलत कमाने के लिये मुश्किल से मुश्किल काम पर राज़ी हो जाते है। इस के लिये भूक, प्यास, धुप, ज़िल्लत, थकावट वगैरा क्या कुछ बर्दाश्त नही करते ! हत्ता की अपनी जान भी खतरे में दाल देते है, सिर्फ इस वजह से की उनका ज़ेहन बना होता है की इस परेशानी के सिले में उन्हें थोड़ी बहुत रकम मिल जाएगी जिस से वो अपनी जरूरियात व ख्वाहिशात पूरी कर सकेंगे, लेकिन अफ़सोस की जब ऐसो के सामने आख़िरत में मिलने वाले इनआमात व आसाइशात का तज़किरा कर के नेक कामो की तरगिब् दी जाए तो उन्हें ये काम बहुत मुश्किल दिखाई देते है और वो राहे फिरार इख़्तियार करने के लिये हिले बहाने बनाने लगते है।
*✍🏼आसान नेकियां, 9*

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गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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