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Sunday 30 July 2017

*रिज़्क़ का ज़ामिन*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     हज़रते ज़ियाद बिन हारिस رضي الله عنه से मरवी है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : जो शख्स तलबे इल्म में रहता है, अल्लाह उस के रिज़्क़ का ज़ामिन है।
*✍🏼تاريخ بغداد*

     अल्लाह तालिबे इल्म को खास तौर पर ऐसे ज़रीए से रिज़्क़ अता करेगा की उस का गुमान भी न होगा, أن شاء الله. लिहाज़ा तालीबुल इल्म को चाहिये की अपने रब ही पर तवक्कुल करे और थोड़े खाने और कम लिबास पर क़नाअत करे। इमाम मालिक عليه رحما फ़रमाते है : जो फक़र पर राज़ी न होगा तो उसे उस का मतलूब यानी इल्म न मिल सकेगा।
*✍🏼فيض القدير*

     फ़िक़्हे हनफ़ी के अज़ीम पेशवा इमामे आज़म अबू हनीफा رحمة الله عليه के शागिर्द अबू युसूफ رحمة الله عليه ने जब आप की शागिर्दी इख़्तियार की तो आप माली तौर पर ज़बू हाली का शिकार थे। लेकिन आप ने हिम्मत न हारी और मुसलसल इल्म हासिल करते रहे और आखिर कार फ़िक़्हे हनफ़ी के इमाम कहलाए।
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 21*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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