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Saturday 26 August 2017

*चुगलखोर की मज़म्मत* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_क्या हम चुगली से बचते है ?_*
     अफ़सोस ! अक्सर लोगों की गुफ्तगू में आज कल गीबत व चुगली का सिलसिला बहुत ज़्यादा पाया जाता है। दोस्तों की बैठक हो या मज़हबी इजत्माअ के बाद जमघट, शादी की तक़रीब हो या ताज़ियत की निशस्त, किसी से मुलाक़ात हो या फोन पर बात, चन्द मिनट भी अगर किसी से गुफ्तगू की सूरत बीने और दीनी मालूमात रखने वाला कोई हस्सास फर्द अगर उस गुफ्तगू की तशखिस करे तो शायद अक्सर मजालिस में दीगर गुनाहों भरे अलफ़ाज़ के साथ साथ वो दर्जनों चुगलिया भी साबित कर दे।
     हाए ! हाए ! हमारा क्या बनेगा !!!एक बार फिर इस हदिष पर गौर कर लीजिये : "चुगल खोर जन्नत में नहीं जाएगा।" काश !हमें हक़ीक़ी मानो में ज़बान का कुफले मदीना नसीब हो जाए, काश ! ज़रूरत के सिवा कोई लफ्ज़ ज़बान से न निकले, ज़्यादा बोलने वाले और दुन्यवी दोस्तों के झुरमट में रहने वाले का गीबत और बिल खुसुस चुगली से बचना बेहद दुश्वार है। आह ! हदिष में है : "जिस शख्स की गुफ्तगू ज़्यादा हो उसकी गलतियां भी ज़्यादा होती है और जिस की गलतियां ज़्यादा हो उस के गुनाह ज़्यादा होते है और जिस के गुनाह ज़्यादा हो वो जहन्नम के ज़्यादा लाइक है।
*✍🏼حلية الاولياء*
*✍🏼बुरे खात्मे के अस्बाब, 9*

*_चुगली से तौबा_*
     हज़रते उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ رضي الله عنه के बारे में मरवी है की एक शख्स उन के पास हाज़िर हुवा और उस ने किसी दूसरे के बारे में कोई बात ज़िक्र की। आप ने फ़रमाया अगर तुम चाहो तो हम तुम्हारे मुआमले में गौर करे अगर तुम झुटे हुए तो इस आयत के मिसदाक़ हो गए : _अगर कोई फ़ासिक़ तुम्हारे पास कोई खबर लाए तो तहक़ीक़ कर लो।_
*✍🏼الحجر ٦*
     और अगर तुम सच्चे हुए तो इस आयत के मिसदाक़ हो जाओगे : _बहुत ताने देने वाला बहुत इधर की उधर लगाता फिरने वाला।_
*✍🏼القلم ١١*
     और अगर तुम चाहो तो हम तुम्हें मुआफ़ कर दें। उस ने अर्ज़ की : अमीरुल मुअमिनिन ! मुआफ़ कर दीजिये आइन्दा में ऐसा नहीं करूँगा।
*✍🏼احياء علوم الدين*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 67*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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