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Friday 25 August 2017

*गुनाहे कबीरा 1*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_शिर्क करना_*
     शिर्क ये है की तू किसी को अल्लाह का हमसर क़रार दे हलांकि उस ने तुझे पैदा किया है और अल्लाह के साथ तू उस के गैर मसलन पथ्थर, इंसान, चाँद, सूरज, नबी, वली, जिन्न, सितारे या फ़रिश्ते वगैरा की इबादत करे।

*_शिर्क की मज़म्मत में 3 फरामिने बरी तआला_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है : _बेशक अल्लाह उसे नहीं बख्शता की उस के साथ कुफ़्र किया जाए और कुफ़्र से निचे जो कुछ है जिसे चाहे मुआफ़ फरमा देता है।_
*✍🏼النساء ٤٨*

_बेशक जो अल्लाह का शरीक ठहराए तो अल्लाह ने उस पर जन्नत हराम कर दी और उस का ठिकाना दोज़ख है।_
*✍🏼الماىٔدة*

_बेशक शिर्क बड़ा ज़ुल्म है।_
*✍🏼لقمان ١٣*
     इस बारे में मूतअद्दिद आयाते मुबारका वारिद है। लिहाज़ा जिस शख्स ने अल्लाह के साथ शिर्क किया फिर ब हालाते शिर्क ही मर गया तो वो क़तई जहन्नमी है जैसा की वो शख्स जन्नती है तो अल्लाह पर ईमान लाया और ईमान की हालत में दुन्या स3 रुख्सत हुवा अगर्चे (किसी गुनाह के सबब) अज़ाब दिया जाए।

*_शिर्क की मज़म्मत में दो फरमाने मुस्तफा_*
     क्या में तुम्हें सब से बड़े गुनाह के बारे में न बताउं ? अल्लाह के साथ शरीक ठहराना सब से बड़ा गुनाह है।
     सात हलाक करने वाले गुनाहों से बचो। इन में एक आप صلى الله عليه وسلم ने शिर्क को भी ज़िक्र फ़रमाया।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह, 20*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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