Pages

Tuesday 1 August 2017

*गुनाहो का कफ़्फ़ारा*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो शख्स इल्म तलब करता है, तो ये उस के गुज़श्ता गुनाहो का कफ़्फ़ारा है।
*✍🏼خامه الترمذي*

     तालिबे इल्म से सगीरा गुनाह (उसी तरह) मुआफ़ हो जाते है जेसे वुज़ू नमाज़ वगैरा इबादत से, लिहाज़ा इस का मतलब ये नही है की तालिबे इल्म जो गुनाह चाहे करे। या (इस हदिष का) मतलब ये है की अल्लाह निय्यते खैर से इल्म तलब करने वालो को गुनाहो से बचने और गुज़श्ता गुनाहो का कफ़्फ़ारा अदा करने की तौफ़ीक़ देता है।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 1/203*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 25*
*___________________________________*
मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

No comments:

Post a Comment