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Thursday 24 August 2017

*जमाअत की फ़ज़ीलत*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : बा जमाअत नमाज़ अदा करना, तन्हा नमाज़ पढ़ने से 27 दर्जे ज़्यादा फ़ज़ीलत रखती है।
*✍🏼صحيح البخاري*

     आम रिवायत में येही है की नमाज़े बा जमाअत ब निस्बत तन्हा के 25 दर्जे ज़ाइद है। मगर बाज़ रिवायतों में 27 दर्जे भी आया है। बल्कि एक रिवायत में 36 दर्जे भी वारिद है। बाज़ में 50 भी।
     उलमा ने इस की मुख़्तलिफ़ तौजिहात की हैं। सब में उम्दा तौजीह ये है की ये नमाज़ी और वक़्त और हालात के ऐतिबार से मुख़्तलिफ़ है।
*✍🏼नुज़हतुल क़ारी शर्हे सहीहुल बुखारी, 2/178*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 63*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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