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Wednesday 23 August 2017

*83 आसान नेकियां* #36
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_खामोश रहना_*
     ज़बान अल्लाह की अता करदा ऐसी अज़ीम नेअमत है जिस की हक़ीक़ी क़द्र वही शख्स जान सकता है जो कुव्वते गोयाई से महरूम हो। ज़बान के ज़रीए अपनी आख़िरत संवारने के लिये नेकियों का खजाना भी इकठ्ठा किया जा सकता है और इस के गलत इस्तिमाल की वजह से दुन्या व आख़िरत बर्बाद भी हो सकती है।
     खामोश रहना भी एक तरह की इबादत है और बाइषे षवाब है, अहादिष में ज़बान पर क़ाबू पाने के लिये खामोशी की बहुत सी फ़ज़ीलते बयान हुई है।
     4 फरमाने मुस्तफा : (1) ख़ामोशी आला दर्जे की इबादत है।
(2) जो अल्लाह और क़यामत पर ईमान रखता है उसे चाहिये की भलाई की बात करे या खामोश रहे।
(3) ख़ामोशी अख़्लाक़ की सरदार है।
(4) आदमी का ख़ामोशी पर क़ाइम रहना 60 साल की इबादत से बेहतर है।

*_मिज़ाने अमल पर बहुत भारी है_*
     हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने हज़रते अबू ज़र गिफ़ारी رضي الله عنه से फ़रमाया क्या में तुम्हें ऐसे दो अमल न बताउं जो करने में बहुत हल्के लेकिन मिज़ाने अमल में बहुत भारी है ? अर्ज़ की ज़रूर बताइये। इर्शाद फ़रमाया : कषरत से खामोश रहना और खुश अख़लाक़ी, फिर फ़रमाया : उस ज़ात की क़सम ! जिस के क़ब्ज़ाए कुदरत में मेरी जान है ! मख्लूक़ का कोई अमल इन दोनों जैसा नहीं है।
*✍🏼شعب الإيمان*

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼आसान नेकियां, 105*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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