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Saturday 30 September 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 12* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_ज़िना करना_*
     अल्लाह ज़िना की मज़म्मत करते हुवे इर्शाद फ़रमाता है :
_और बदकारी के पास न जाओ बेशक वो बे हयाई है और बहुत ही बुरी राह।_
*✍🏼بنى إسرائيل ٣٢*

_और वो जो अल्लाह के साथ किसी दूसरे मअबूद को नही पूजते और उस जान को जिस की अल्लाह ने हुरमत रखी नाहक़ नही मारते और बदकारी नही करते और जो ये काम करे वो सज़ा पाएगा।_
*✍🏼الفرقان ٦٨*

_जो औरत बदकार हो और जो मर्द तो उन में हर एक को सौ कोड़े लगाओ और तुम्हें उन पर तरस न आए अल्लाह के दीन में।_
*✍🏼النور ٢*

_बदकार मर्द निकाह न करे मगर बदकार औरत या शिर्क वाली से और बदकार औरत से निकाह न करे मगर बदकार मर्द या मुशरिक और ये काम ईमान वालों पर हराम है।_
*✍🏼النور ٣*

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 55

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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