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Sunday 24 September 2017

*कबीरा गुनाह नंबर 8*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

_*ज़ुल्मन यतीम का माल खाना*_
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
     _वो जो यतीमों का माल नाहक़ खाते है वो तो अपने पेट में निरी आग भरते है और कोई दम जाता है कि भड़कते धड़े (भड़कती आग) में जाएंगे।_
*✍🏼النساء ١٠*

     _और यतीमों के माल के पास न जाओ मगर बहुत अच्छे तरीके से।_
*✍🏼الانعام ١٥٢*
     यानी यतीमों के माल के पास इस तरीके से जाओ जिस से उस का फायदा हो और जब वो अपनी जवानी की उम्र को पहुँच जाए उस वक़्त उस का माल उस के सुपुर्द कर दो।
*✍🏼सिरतुल जिनान*

     रसूले अकरम صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : सात हलाक करने वाले गुनाहों से बचो। इन में एक आप صلى الله عليه وسلم ने यतीम के माल को खाना भी ज़िक्र किया।
     यतीम का वली (सरपरस्त) फ़क़ीर हो तो उस के लिये ब क़दरे मारूफ़ (हस्बे दस्तूर) यतीम का माल खाने में हरज नहीं अलबत्ता ब क़दरे मारूफ़ से ज़्यादा खाना शदीद हराम है। ब क़दरे मारूफ़ की मिक़दार जानने के लिये मुसलमानों के उर्फ़ को देखा जाएगा जो बुरे मक़ासिद न रखते हों।
*✍🏼76 कबीरा गुनाह, 50*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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