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Tuesday 26 September 2017

*कबीरा गुनाह नंबर 9*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_रसूलुल्लाह पर झूट बांधना_*
     रसूले अकरम صلى الله عليه وسلم पर झूट बांधना कुफ़्र है और ये अमल बन्दे को खारिज अज़ इस्लाम कर देता है। बिलाशुबा हराम को हलाल और हलाल को हराम क़रार देने के मुआमले में क़सदन अल्लाह और उस के रसूल صلى الله عليه وسلم पर झूट बांधना खालिस कुफ़्र है।

     बिला शुबा हुज़ूर صلى الله عليه وسلم पर झूट बांधने का मुआमला दूसरे पर झूट बांधने की तरह नहीं खुद रसूले करीम صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया :
     मुझ पर झूट बांधना, मेरे गैर पर झूट बांधने की तरह नहीं है जो जान बुझ कर मुझ पर झूट बांधे उसे चाहिये कि अपना ठिकाना जहन्नम में बना ले।
*✍🏼مسلم*

     जो शख्स मुझ पर झूट बांधेगा उस के लिये जहन्नम में घर बनाया जाएगा।
*✍🏼مسند احمد، مسند عبد الله بن عمر*

     जो मेरे हवाले से ऐसी बात करे जो में ने नहीं कही उसे चाहिये कि वो अपना ठिकाना जहन्नम में बना ले।
*✍🏼ابن ماجة*

     झूट और खियानत के इलावा मोमिन की तबीअत में हर बात हो सकती है।
*✍🏼مسند احمد*

     जिस ने मेरे हवाले से कोई हदिष रिवायत की हालांकि उस का झूट होना उसे मालुम हो तो वो झूटों में से एक झुटा है।
*✍🏼مسلم*

     पस आप पर इन अहादिष के ज़रीए ज़ाहिर हो गया कि मौज़ूअ हदिष को रिवायत करना जाइज़ नहीं है।
(जो झूटी बात घड़ कर सरकार صلى الله عليه وسلم की तरफ बतौरे हदिष मन्सूब कर दी गई हो उसे मौज़ूअ हदिष कहते है।
*✍🏼76 कबीरा गुनाह ,51*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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