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Thursday 26 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 30*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_मुर्दार, खून और सूअर का गोश्त खाना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_तुम फ़रमाओ में नही पाता उस में जो मेरी तरफ वही हुई किसी खाने वाले पर कोई खाना हराम मगर ये कि मुर्दार हो या रागों का बहता खून या बद जानवर का गोश्त वो नफासत है।_
*✍🏼الانعام ١٤٥*
     जो शख्स बिला ज़रूरते शरई जान बुझ कर खिन्ज़िर का गोश्त खाए वो ज़रूर मुजरिम है और मुझे ये गुमान नहीं कि कोई मुसलमान जान बुझ कर खिन्ज़िर का गोश्त खा सकता है। बसा औक़ात ये फेल जंगलों और पहाड़ो में रहने वाले बे दीन करते है जो दीने इस्लाम से खारिज है। मुसलमानों के दिलों में ये बात जा गुजीं है कि खिन्ज़िर का गोश्त खाने का गुनाह, शराब पीने से भी बड़ा है।
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो गोश्त हराम से नशवो नुमा पाएगा वो जन्नत में दाखिल नहीं होगा, आग उस की ज़्यादा हक़दार है।
*✍🏼مستدرك حاكم*
     मुसलमानो का इस बात पर इजमाअ है कि नर्द (चौसर) खेलना हराम है। क़ाइलिने हुरमत की ये एक दलील तुम्हे काफी है कि हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : जिस ने नर्द खेला तो गोया उस ने अपना हाथ खिन्ज़िर के गोश्त और खून में रंग लिया।
*✍🏼مسلم*
     यक़ीनन मुसलमान का खिन्ज़िर के गोश्त और खून में हाथ आलूदा करना नर्द खेलने से कहीं बड़ा गुनाह है तो खिन्ज़िर का गोश्त खाने इस का खून पीने की हुरमत के बारे में क्या ख्याल है ? अल्लाह अपने फज़्लो करम से हमे इस से बचाए रखे।
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 115

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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