Pages

Thursday 5 October 2017

*83 आसान नेकियां* #51
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*जाइज़ सिफारिश करना*
     किसी मुसलमान की जाइज़ सिफारिश करना भी बड़े षवाब का काम है, हज़रते अबू मूसा رضي الله عنه से रिवायत है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم के पास जब कोई साईल आता या आप से कोई ज़रूरत बयान की जाती तो आप (हमे साईल के बारे में) इर्शाद फ़रमाते : सिफारिश करो षवाब दिये जाओगे और अल्लाह अपने नबी की ज़बान पर जो चाहे फैसला फरमाए।
*✍🏼صحيح البخاري*

     इस बात का ख्याल रखना बेहद ज़रूरी है की सिफारिश जाइज़ मक़सद के लिये हो, कोई नाजाइज़ या नाहक़ काम निकलवाना मक़सूद न हो नीज़ सिफारिश हतमी अंदाज़ के बजाए लचक वाले अलफ़ाज़ में होनी चाहिये मषलन अगर आप मुनासिब समझो तो फुला का ये काम कर दीजिये।
     हज़रते मुफ़्ती अहमद यार खान عليه رحما हदिष के इस जुज़ "सिफारिश करो षवाब दिये जाओगे" के तहत फ़रमाते है, यानी उस साईल या हाजत मन्द की हाजत रवाई के लिये हम से सिफारिश करो तुम को सिफारिश करने का षवाब मिलेगा।
     मालुम हुवा की हकीम से हक़ और अहले हक़ की सिफारिश करना षवाब है की नेकी करना, नेकी करना, नेकी का मशवरा देना सब ही षवाब है। बातिल की सिफारिश गुनाह है, फ़ुक़हाए किराम फ़रमाते है की शरई हुदूद (यानी अल्लाह व रसूल की तरफ से मुक़र्रर करदा सज़ा) में सिफारिश हराम है और ताज़ीरात (यानी क़ाज़ी की तरफसे बगर्ज़े मसलेहत दी जाने वाली सज़ा) में सिफारिश जाइज़।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्* 6/550
*✍🏼आसान नेकियां* 135

●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●
मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

No comments:

Post a Comment