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Monday 13 November 2017

*83 आसान नेकियां* #72
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_अपनी आख़िरत के बारे में गौरो फ़िक्र करना_*
     अपनी आख़िरत के बारे में गौरो फ़िक्र करना भी इबादत है। हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : (उमुरे आख़िरत में) घड़ी भर गौरो फ़िक्र करना 60 साल की इबादत से बेहतर है।
*✍🏼كنز العمال*
     हज़रते उष्माने गनी رضي الله عنه फ़रमाते है कि दुन्या की फ़िक्र दिल में अन्धेरा जब कि आख़िरत की फ़िक्र रौशनी व नूर पैदा करती है।

     हज़रते आमिर बिन क़ैस رحمه الله عليه फ़रमाते है : आख़िरत में सब से ज़्यादा खुश वो शख्स होगा जो दुन्या में (आख़िरत के बारे में) सब से ज़्यादा मुतफक्किर रहने वाला हो और आख़िरत में सब से ज़्यादा हंसना उसी को नसीब होगा जो दुन्या में (खौफे खुदा के सबब) सब से ज़्यादा रोने वाला हो और ब रोज़े क़यामत सब से ज़्यादा सुथरा ईमान उसी का होगा जो दुन्या में ज़्यादा गौरो फ़िक्र करने वाला है।

     हज़रते मकहुल शामि फ़रमाते है : इंसान जब बिस्तर पर आराम करने लगे तो अपना मुहासबा करे कि आज उस ने क्या आमाल किये ? फिर अगर उस ने अच्छे आमाल किये हो तो अल्लाह का शुक्र करे और अगर उस से गुनाह सरज़द हुवे हों तो तौबा व इस्तिग़फ़ार करे। क्यूंकि अगर ये ऐसा न करेगा तो उस ताजिर की तरह होगा जो खर्च करता जाए लेकिन हिसाब किताब न रखे तो एक वक़्त ऐसा आएगा कि वो कंगाल हो जाएगा।
*✍🏼आसान नेकियां* 170

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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