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Friday 22 December 2017

*तज़किरतुल अम्बिया* #12
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रत आदम स्फीउल्लाह عليه السلام*
#05
*मुसलमानो की जुबुं हाली की वजह* #01
     खिलाफ़ते राशिदा अदलिया के बाद मुसलमानों पर दुन्या की महब्बत ग़ालिब आ गई। अल्लाह और उसके रसूल ﷺ की महब्बत उन के दिलों में रासिख न रही, दुन्या की महब्बत की वजह से मौत से उनके दिलों में कराहत पैदा हो गई और अल्लाह की राह में जान देने का जज़्बा कामिल न रहा, जिसकी वजह से उम्मते मुस्लिमा बदहाली का शिकार हो गई, गैरों पर उस को ग़ालिब रहने की नेअमत से महरूम कर दिया गया।
     सुनन अबू दाऊद और बहकी की हदिष में उम्मते मुस्लिमा की इस बदहाली का ज़िक्र निहायत ही अलमनाक सूरत में वारिद है। हज़रत सुबान से रिवायत है रसूलल्लाह ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया :
     "ऐ मुसलमानों ! क़रीब है कि काफिरों की जमाअते तुम पर हमला आवर होने के लिये इस तरह एक दूसरे को बुलायेंगी जेसे किसी प्याले में खाना रखा हो और उसे खाने के लिये हर तरफ से लोगों को बुलाया जाये। सहाबा ने अर्ज़ की कि हुज़ूर ! क्या उस वक़्त हम क़लील होंगे ? फ़रमाया नहीं तुम उस वक़्त बहुत कसीर तादाद में होंगे लेकिन तुम उस वक़्त सैलाब के झाग और उस के खस व खशाक की तरह होंगे (यानी ईमानी कुव्वत व शुजाअत तुम में बाक़ी न रहेगी)। अल्लाह तुम्हारी हैबत और तुम्हारा रोब दुश्मन के दिल से निकाल देगा और तुम्हारे दिलों में बुजदिली और कमज़ोरी पैदा कर देगा। सहाबा ने अर्ज़ किया हुज़ूर ! बुजदिली और कमज़ोरी का सबब क्या होगा ? फ़रमाया : दुन्या की महब्बत और मौत की कराहत।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 29
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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