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Sunday 28 January 2018

*कलिमाते कुफ़्र* #01

*कलिमाते कुफ़्र* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*मुश्किलात के वक़्त बके जाने वाले कुफ्रिय्यात की मिसालें*
     (1) बतौरे एतराज़ कहना: वो शख्स लोगों के साथ कुछ भी करे अल्लाह की तरफ से उस को फूल (full) आज़ादी है।
     (2) कभी हम फूलां के साथ थोड़ा कुछ करले, अल्लाह हमें फौरन पकड़ लेता है।
     (3) अल्लाह ने हमेशा मेरे दुश्मनों का साथ दिया है।
     (4) हमेशा सब कुछ अल्लाह पर छोड़ कर भी देख लिया कुछ नहीं होता।
     (5) अल्लाह ने मेरी किस्मत अभी तक तो ज़रा अच्छी नहीं बनाई।
     (6) शायद उस के खज़ाने में मेरे लिये कुछ भी नहीं, मेरी दुन्यवी ख्वाहिशात कभी पूरी नहीं हुई, ज़िन्दगी भर मेरी कोई दुआ क़बूल नहीं हुई, जिस को चाहा वो दूर चला गया, हर ख्वाब मेरा टुटा, तमाम अरमान कुचले गए, कब आप ही बताएं में अल्लाह पर कैसे ईमान लाऊ?
     (7) एक शख्स ने हमारी नाक में दम कर रखा है, मज़े की बात ये है कि अल्लाह भी ऐसों के साथ होता है।
     (8) जिस शख्स ने मुसबतें पहुचने पर कहा: ऐ अल्लाह! तूने माल ले लिया, फूलां चीज़ ले ली, अब क्या करेगा? यक कब क्या चाहता है? या अब क्या बाक़ी रह गया? ये क़ौल कुफ़्र है।
     (9) जो कहे: अल्लाह ने मेरी बिमारी और बेटे की मशक़्क़त के बा वुजूद अगर मुझे अज़ाब दिया तो उस ने मुझ पर ज़ुल्म किया। ये कहना कुफ़्र है।
     (10) अल्लाह ने हमेशा बुरे लोगों का साथ दिया।
     (11) अल्लाह ने मजबूरों को और परेशान किया है।
*✍🏼28 कलिमाते कुफ़्र* 3
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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