*जवानी कैसे गुज़ारे ?* #18
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*सालेह व खाइफ नौ जवान*
हज़रत ज़ुन्नुन मिसरी رحمة الله عليه एक बार मुल्के शाम तशरीफ़ ले गए, आप का गुज़र एक निहायत सर सब्ज़ो शादाब खुशनुमा बाग़ से हुवा, तो देखा कि एक नौ जवान सेब के दरख्त के नीचे नमाज़ में मश्गुल है। आप को उस सालेह जवान से हम-कलामी का इश्तियाक़ हुवा। जब उस ने सलाम फेरा तो में ने उसे अपनी जानिब मुतवज्जोह करने की कोशिश की तो उस ने जवाब देने के बजाए ज़मीन पर यह लिखा :
ज़बान कलाम से रोक दी गई है क्यूं कि यह ज़बान तरह तरह की बालाओं का गार और आफत लाने वाली है इस लिये जब बोलो तो अल्लाह का ज़िक्र करो, उसे किसी वक़्त फरामोश न करो और हर हाल में उस की हम्द बजा लाते रहो।
नौ जवान की इस तहरीर का आप के क़ल्ब पर गहरा असर हुवा और आप पर गिर्या तारी हो गया। जब इफ़ाक़ा हुवा तो आप ने भी जवाबन ज़मीन पर ऊँगली से यह लिखा : हर लिखने वाला एक दिन क़ब्र में जा मिलेगा मगर उस की तहरीर हमेशा बाक़ी रहेगी इस लिये अपने हाथ से ऐसी बात लिखो जिसे देख कर बरोज़े क़यामत तुम्हें ख़ुशी मिले।
हज़रत ज़ुन्नुन मिसरी رحمة الله عليه का बयान है कि मेरी तहरीर पढ़ कर उस जवाने सालेह ने एक चीख मारी और अपनी जान जाने आफरी के सुपर्द कर दी। में ने सोचा कि इस की तज्हिजो तक़फ़ीन का इन्तिज़ाम कर दूँ मगर हातीफे गैबी ने आवाज़ दी: ज़ुन्नुन! इसे रहने दो, रब्बे काएनात ने इस से अहद किया है कि फ़रिश्ते तेरी तज्हिजो तकफिन करेंगे। ये सुन कर आप बाग़ के एक गोशे में मसरूफे इबादत हो गए और चन्द रकअत पढ़ने के बाद देखा तो वहां उस नौ जवान का नामो निशान भी न था।
*✍🏼روض الزياحن*
*✍🏼जवानी कैसे गुज़ारे ?* 32
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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