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Monday 22 January 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #30

*तज़किरतुल अम्बिया* #30
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रत आदम स्फीउल्लाह عليه السلام* 
#24
*शैतानी वस्वसे के असर होने या न होने के लिहाज़ से पांच किस्मे* #01
     इंसान जिस्म और रूह का मजमुआ है रूह आलमे कुद्स की एक लतीफ मख्लूक़ है जिस्मे आलमे बाला के हक़ायक़ व कमालात और तमाम मनाफे पाये जाते है और जिस्म की तख़्लीक़ मिट्टी से हुई इस लिये इसमें मद्दी असरात और खुसुसिय्यत और ज़मीन की मख़लूक़ात वाले कमालात पाये जाते है।
     अल्लाह का खलीफा बनने की इस्तेदाद हर इंसान को जिस्म और रूह के ज़िमन् में अता हुई लेकिन शैतान ने इंसान को जो इस नेअमत से महरूम करने की कोशिश की है उसके नतीजे में इंसानों के पांच गिरोह बन गये।

*पहला गिरोह*
     वह जो पूरी तरह शैतान के क़ब्ज़े में आकर खिलाफ़ते इलाहया से बगावत कर बैठा उसने खिलाफत की इस्तेदाद बिलकुल ज़ाया कर दी। अल्लाह की तौहीद और उसकी मारफ़त से उसका कोई तअल्लुक़ न रहा दोनों जहानों की नेक बख्ती और हमेशा की नजात की राहों से दूर जा पड़ा, कोई रूहानी कमाल हासिल करने की उसमें ताक़त न रही यहाँ तक की माद्दी फ़वाइद जानने और उन्हें हासिल करने से भी यह महरूम रहा, यह वह लोग है जो अक्ल व ख़िरद से खाली है जाहिल काफ़िर और मुशरिक है।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 41
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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