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Monday 29 January 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #38

*तज़किरतुल अम्बिया* #38
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रत आदम स्फीउल्लाह عليه السلام* 
#32
*हज़रत आदम عليه السلام की शादी और महर*
     जब हज़रत हव्वा को पैदा किया गया तो हज़रत आदम عليه السلام ने उनकी तरफ मिलान करना चाहा और इरादा फ़रमाया कि दस्ते मुहब्बत बढ़ायें तो फरिश्तों ने कहा ऐ आदम ठहर जाओ पहले महर अदा कर दो आपने फ़रमाया: वह महर क्या है? फरिश्तों ने कहा महर यह है कि तुम नबीए करीम ﷺ पर दुरुद पढ़ो।
     एक रिवायत में 3 दफा और एक में 70 मर्तबा दुरुद पढ़ने का हुक्म दिया गया यानी इस मसले में इत्तेफ़ाक़ है कि आदम عليه السلام का महर यही था कि वह नबीए करीम ﷺ पर दुरुद पढ़ें आप ने दुरुद पढ़ा और फरिश्तों की गवाही से निकाह हुआ।
     इससे यह भी पता चला कि बेशक नबीए करीम ﷺ हर मौजूद चीज़ के लिये वसीला है यहां तक कि आप अपने बाप आदम عليه السلام का भी वसीला है।
     दूसरी रिवायत के मुताबिक़ आप को और हज़रत हव्वा को शादी के बाद फ़रिश्ते सोने के तख्त पर बैठा कर इस तरह जन्नत में ले गये जिस तरह बादशाहों को इज़्ज़त की खातिर उठाकर ले जाते है गोया कि बारात की वापसी पर फ़रिश्ते सुनहरी डोली में दोनों मियां-बीवी को उठाकर ला रहे है।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 44
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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