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Wednesday 31 January 2018

तज़किरतुल अम्बिया* #40

*तज़किरतुल अम्बिया* #40
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रत आदम स्फीउल्लाह عليه السلام* 
#34
*हज़रत आदम व हव्वा عليه السلام को दरख्त से मना करने में हिकमत*
     अगर हज़रत अदम عليه السلام जन्नत में न होते बल्कि पहले ही ज़मीन पर होते तो...
     और तुम दोनों उस दरख्त के क़रीब न जाओ" कहने की ज़रूरत दरपेश न आती और नही आप से भूल वाकेय होती। लेकिन आप तो जन्नत में थे और आपका ज़मीन में रहना और ज़मीन में ही अल्लाह का खलीफा बनना खुद रब की मुराद थी आप की तख़्लीक़ से पहले ही अल्लाह ने फरमा दिया था: "बेशक में ज़मीन में खलीफा बनाने वाला हूँ।"
     इससे मालुम हुआ कि आदम عليه السلام अपने महबूब और महबूब की मुराद को नहीं भूले यानी अल्लाह और उसकी मुराद जो थी कि आप ज़मीन में मेरे खलीफा होंगे उससे हज़रत आदम عليه السلام से भूल नहीं वाकेय हुई बल्कि अल्लाह की मर्ज़ी के मुताबिक़ काम हुआ, अलबत्ता भूल उनके मासिवा चीज़ में हुई जो अल्लाह की हिकमत का तक़ाज़ा था कि एक दरख्त के क़रीब जाने से रोका उसमें भूल वाकेय हुई जो ज़मीन में आने का सबब बनी।
     इस मक़ाम पर यह शुबह सही न होगा कि अल्लाह हज़रत आदम عليه السلام को इस भूल के बगैर ज़मीन पर लाने पर क़ादिर था बेशक उसकी कुदरत हक़ है लेकिन उसने इज़हारे कुदरत को खुद ही हकिमाना अस्बाब के साथ मर्बुत फ़रमाया है। आदम عليه السلام का निस्यान उन ही अस्बाब में शामिल है, अल्लाह के क़ादिर होने के साथ साथ उसका हकीम होना भी बरहक़ है और हकीम की शान नहीं कि हिकमत के खिलाफ कोई काम करे, हिकमत की रियायत से कुदरत की नफ़ी नहीं होती। आदम عليه السلام की उस ज़ाहिरी लग्ज़िश को हक़ीक़तन मासियत न समझा जाये और इस बात पर गौर किया जाये कि अल्लाह ने आदम عليه السلام को जन्नत में ठहरा कर एक ख़ास दरख्त के क़रीब जाने से मना फरमा दिया और शैतान को इख़्तियार दे दिया कि वह इस मुमानअत की खिलाफ वर्जि में आदम عليه السلام की लग्ज़िश का सबब बन जाये और लग्ज़िश के सादिर होने के बाद आदम عليه السلام का ज़मीन में खलिफतुल्लाह होना जो मंशाए इयज़दि था हकिमाना तौर पर पूरा हो जाये, अदना तआम्मुल से यह बात समझ में आ सकती है कि अल्लाह ने अपने मंशा और मुराद को मुतहक़्क़ीक़ फरमाने के लिये यह सब हकिमाना अस्बाब पैदा फरमाये।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 45
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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