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Thursday 25 January 2018

सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* *मुक़द्दमा* #6

*सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ*
*मुक़द्दमा* #6
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْم
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
    
      इस लिये सहाबए किराम अलैहिमुर्रीज़्वान एक लम्हे के लिये भी हुज़ूर ﷺ को बेचैन देखना गवारा न करते। फ़त्हे मक्का से पहले मश्हूर सहाबी हज़रते ज़ैद रदिअल्लाहो तआला अन्हो दुश्मनाने इस्लाम के नरगे में आ गए, सफ़वान बिन उमय्या ने उनको कत्ल करने के लिये अपने गुलाम निस्तार के साथ तन्इम भेजा।
      हज़रते ज़ैद रदिअल्लाहो तआला अन्हो को हुदूदे हरम से बाहर ले जाया गया, तो अबू सुफ़यान ने (जो अभी इस्लाम न लाए थे) उनसे पूछा: ज़ैद ! मैं तुमको खुदा की कसम दे कर पूछता हूं क्या तुम पसन्द कर सकते हो कि इस वक्त हमारे पास तुम्हारी जगह मुहम्मद (ﷺ) हों और हम उनको क़त्ल करें और तुम आराम व सुकून से अपने अहल में रहो।
      हज़रते ज़ैद रदिअल्लाहो तआला अन्हो ने जवाब दिया, अल्लाह की क़सम! मैं तो यह भी पसन्द नहीं करता कि इस वक्त मेरे हुज़ूर जहां कहीं भी हो उन को एक कांटा भी चुभे और मैं आराम न सुकून से अपने अहल में रहूं।
    यह सुन कर अबू सुफ़यान ने कहा : मैं ने ऐसा कहीं नहीं देखा कि किसी से ऐसी महब्बत की जाती हो, जैसी महब्बत मुहम्मद (ﷺ) से उनके असहाब करते हैं। इस के बाद हज़रते ज़ैद रदिअल्लाहो तआला अन्हो को शहीद कर दिया गया।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 25
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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