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Thursday 1 February 2018

ताज़िमे रसूल ﷺ और सहाबए किराम* #12

*ताज़िमे रसूल ﷺ और सहाबए किराम* #12
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْم
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

    येह इर्शादाते रब्बानी सहाबए किराम अलैहिमु र्रीज़्वान के पेशे नज़र थे, इस लिये उन्हों ने अपने सरकार ﷺ की ऐसी ताज़िम की, कि दुन्या के किसी शहनशाह की भी इस तरह ताज़ीम न की जा सकी।
      सहाबए किराम अलैहिमु र्रीज़्वान की ताज़िम व तौक़ीर का हाल देख कर सुल्हे हुदैबिया के मौकअ पर कुरैश के नुमाइंदे उरवा बिन मसऊद ने जो अभी ईमान न लाए थे, येह तअश्शूर पेश किया था, गोया येह अपने का नही गैर का तअश्शूर है। आप ने कहा:
     "ऐ लोगो! खुदा की कसम! मैं बादशाहो के दरबारों में भी पहुंचा हूं। कैसरो किसरा और नज्जाशी की डेवढियों पर भी हाज़िरी दे चुका हूं। खुदा की कसम! किसी बादशाह की इतनी ताज़िम होते नही देखी, जितनी ताज़ीम मुहम्मद ﷺ की उनके असहाब अलैहिमु र्रीज़्वान करते हैं। जब कभी भी उनके दहने अक़दस से लुआबे मुबारक निकला वोह किसी न किसी शैदाई के हाथ मे पड़ा जिसे उसने अपने चेहरे और जिस्म पर मल लिया, और जब वोह अपने असहाब को किसी बात का हुक्म देते हैं तो वोह उसकी तामील मैं दौड़ पड़ते हैं, और जब  वोह वुज़ू करते हैं तो वुज़ू के पानी के लिये एक दूसरे पर पेश कदमी करते हैं और जब वोह गुफ़्तगू फ़रमाते हैं तो वोह लोग खामोश और पुर सुकून रहते हैं और ताज़िम व तौक़ीर में उनकी तरफ नज़र भर कर देखते तक नहीं।"   
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 29
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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