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Friday 2 February 2018

तज़किरतुल अम्बिया* #41

*तज़किरतुल अम्बिया* #41
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रत आदम स्फीउल्लाह عليه السلام* 
#35
*शैतान के फिसलाने का क्या मतलब?*
     तो शैतान ने उन्हें जस दरख्त के ज़रिये फुसलाया और जहाँ वह रहते थे वहां से उन्हें अलग कर दिया।
      आदम व हव्वा عليه السلام के लिये फरमान था कि उस दरख्त के क़रीब न जाना, शैतान ने उनसे इस फरमाने इलाही की नाफ़रमानी करना चाही इस लिये वस्वसे की ज़बान में दोनों से कहा कि में तुम्हें ऐसा दरख्त न दिखाऊं जिसके खाने से तुम हमेशा जन्नत में रहो और तुम्हें ऐसी बादशाही नसीब हो जाये जिसमें कभी किसी किस्म की कमज़ोरी पैदा न हो। शैतान ने उनके दिलों में बार बार वस्वसा पैदा किया और वस्वसा की ज़बान में क़सम खा कर उनको कहा कि में तुम्हारा खैर ख्वाह हु उस दरख्त के खाने से तुम्हारे रब ने सिर्फ इसलिये तुम्हें रोका है कि तुम फ़रिश्ते न हो जाओ हमेशा तुम्हें जन्नत में रहना नसीब न हो जाये। बिल आखिर धोके से उन्हें इस दरख्त के खाने पर आमादा कर लिया और आदम व हव्वा ने दरख्त से खा लिया और खाते ही उनका जन्नती लिबास  उनसे उतर गया और जन्नती दरख्तों के पत्तों से अपने अपने जिस्मों को ढापा और वह जन्नत से ज़मीन की तरफ उतार दिये गये यहाँ तक तो शैतान की ख्वाहिश पूरी हो गई।
     लेकिन अस्ल मकसद में वो कामयाब न हुआ उसकी अस्ल ख्वाहिश यह थी कि आदम عليه السلام की मुमानआत को याद रखते हुए क़सदन उस दरख्त से खायें और इस तरह आसी और ना फरमान हो कर जन्नत से निकाले जायें इसीलिए उसने वस्वसा की ज़बान में मा नहा कुमा अन हाज़िहिश श ज र त कह कर अल्लाह की नही भी उन्हें याद दिला दी, लेकिन इस्मते इलाहया ने उन्हें मासियत से बचा लिया और उस दरख्त के खाने से पहले मुमानअते इलाही का उन्हें निस्यान हो गया जैसा कि अल्लाह ने फ़रमाया: आदम भूल गये हमने उनका क़सद न पाया।
     और आदम عليه السلام क़सदन फरमाने इलाही की खिलाफ वर्ज़ी से बच गये और शैतान अपने अस्ल मक़सद में नाकाम हो गया यही वजह है कि अल्लाह ने अज़ल (जाल के साथ) के बजाए अज़ल नही फ़रमाया यानी यह फ़रमाया कि शैतान ने उनको फुसला दिया यह नहीं फ़रमाया कि उन्हें गुमराह कर दिया।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 47
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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