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Monday 12 March 2018

*सोहबत किस की अपनाई जाए ?* #01
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ
     हुज्जतुल इस्लाम हज़रते सय्यिदुना इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली عليه رحمة الله الوالى फरमाते है : ऐसे शख्श की सोहबत इख्तियार की जाए जिस में येह पांच ख़्सलते हो : 1. अक्लमन्द हो 2. अच्छे अख्लाक का मालिक हो 3. फ़ासिक़ न हो 4. गुमराह न हो और 5. दुन्या का हरिस भी न हो ।
*1. अक्लमन्द हो*
     (किसी की सोहबत अपनाने के लिये अक्ल की कैद इस लिये लगाई क्यूंकि) अक्ल इन्सान के लिये अस्ल की हैसिय्यत रखती है, बे वुक़ूफ़ के साथ बैठने का कोई फाइदा नही, उस का साथ कितनी ही तवील हो (मगर) अन्जामें कार वहशत और जुदाई होता है। अक्लमन्द की सोहबत इख्तियार करना इस लिये भी ज़रूरी है कि बे वुक़ूफ़ शख्स अगर तुम्हें फाइदा पहुचाने और तुम्हारी मदद करने का इरादा करता है तो फिर भी तुम्हे नुक्सान पहुचाता है और उसे इस बात का इल्म भी नही होता। इसी वजह से कहा गया है कि "बे वुक़ूफ़ से दूरी इख्तियार करना, अल्लाह तआला के कुर्ब का ज़रिआ है।" हज़रते सय्यिदुना सुफ़यान सौरी عليه رحمة الله القوى ने फरमाया : "बे वुक़ूफ़ के चेहरे की तरफ नज़र करना एक खता है जिसे जिसे लिखा जाता है।" अक्लमन्द से हमारी मुराद वोह शख्स है जो अश्या को उन की हकीकत के मुताबिक समझता है, ख्वाह ब ज़ाते खुद समझता हो या किसी के समझाने से ।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍अच्छे माहोल की बरकतें* 15
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*​अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...​*
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