ताज़िमे इरशादे रसूलﷺ
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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْم
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
2) हज़रते अम्र बिन शोऐब कहते हैं कि एक मरतबा सफ़र में हम लोग हुज़ूर ﷺ के साथ थे। मैं हुजूर ﷺ की खिदमत में हाज़िर हुवा। मेरे ऊपर एक चादर थी जो कुसुम के रंग में हल्की सी रंगी हुई थी। हुज़ूर ﷺ ने देख कर फ़रमाया: यह क्या ओढ़ रखा है?
मुझे इस सुवाल से हुज़ूर ﷺ की ना गवरी के आशार मालूम हुवे। घर वालों के पास वापस हुवा तो उन्हों ने चूल्हा जला रखा था, मैं ने वोह चादर उसमें डाल दी। दूसरे रोज़ जब हाज़िर हुवा तो हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया की वोह चादर का क्या हुआ। मैं ने किस्सा सुना दिया, आप ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया: औरतों में से किसी को क्यूं न पहना दी, औरतों के पहनने में तो कोई मुज़ायका न था।
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 60
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, गर होजाये यक़ीन के.. अल्लाह सबसे बड़ा है..अल्लाह देख रहा है..
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