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Tuesday 27 March 2018

*क़ुरआन में मे'राज का बयान* #05
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*दूसरा मक़ाम*
     सूरए बनी इसराइल में ही आयत 60 में है: और हम ने न किया वह दिखावा जो तुम्हें दिखाया था मगर लोगों की आज़माइश को।
     मेराज की सुबह जब हुज़ूर ﷺ ने लोगों को इस बारे में बताया तो आप ﷺ पर ईमान लेन वाले बाज़ लोग मुर्तद हो गए, इस आयत में उन लोगों को आज़माइश में डाले जाने का ज़िक्र है।
     इस आयत से भी यही पता चलता है की मेराज सिर्फ रूह को न हुई बल्कि जिस्म और रूह दोनों को हुई क्योंकि अगर हालते ख्वाब में फ़क़त रूह को मेराज होती तो किसी को एतराज़ न होता।

*तीसरा मक़ाम*
     सूरए नज्म आयत 1 से 18 में है: इस प्यारे चमकते तारे मुहम्मद की क़सम! जब ये मेराज से उतरे तुम्हारे साहिब न बहके न बे राह चले और वो कोई बात अपनी ख्वाहिश से नहीं करते वो तो नहीं मगर वही जो उन्हें की जाती है उन्हें सिखाया सख्त कुव्वतों वाला ताक़तवर ने फिर उस जलवे ने क़स्द फ़रमाया और वो आसमाने बरी के सब से बुलन्द किनारे पर था फिर वो जल्वा नज़्दीक हुवा फिर खूब उतर आया तो उस जलवे और उस महबूब में दो हाथ का फ़ासिला रहा बल्कि इससे भी कम अब वही फ़रमाई अपने बन्दे को जो वही फ़रमाई दिल ने झूट न कहा जो देखा तो क्या तुम उनसे उनके देखे हुवे पर झगड़ते हो और उन्हों ने तो वो जल्वा दो बार देखा सिद्रतुल मुन्तहा के पास उस के पास जन्नतुल मावा है जब सिद्रा पर छा रहा था जो छा रहा था आँख न किसी तरफ फिरि न हद से बढ़ी बेशक अपने रब की बहुत बड़ी निशानियां देखीं।
     इन आयत में नज्म (तारे) से क्या मुराद है इसकी तफ़सीर में बहुत से क़ौल है बाज़ ने सितारे मुराद लिये, बाज़ ने सितारों की एक खास किस्म सुरैया और बाज़ ने क़ुरआन मुराद लिया है। राजेह क़ौल यह है की इससे हुज़ूर ﷺ की ज़ात मुराद है।
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 61
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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