*यतीम के सर पर हाथ फेरने की फ़ज़ीलत*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
जिस बच्चे या बच्ची का बाप फौत हो जाए उसको यतीम कहते है। जब बच्चा या बच्ची बालिग़ हो गये तो अब यतीम के अहकाम खत्म हुए। यतीमों के साथ हुस्ने सुलूक का भी बड़ा सवाब है।
फरमाने मुस्तफा ﷺ: जो शख्स यतीम के सर पर महज़ अल्लाह के लिये हाथ फेरे तो जितने बालो पर उसका हाथ गुज़रा हर बाल के बदले में उसके लिये नेकियां है और जो शख्स यतीम लड़के या लड़की पे एहसान करे में और वो जन्नत में (दो उँगलियों को मिला कर फ़रमाया) इस तरह होंगे।
यतीम के सर पर हाथ फेरने और मिस्कीन को खाना खिलाने से दिल की सख्ती दूर होती है। चुनान्चे हज़रते अबू हुरैरा رضي الله عنه से रिवायत है कि एक शख्स ने अपने दिल की सख्ती की शिकायत की। हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया: यतीम के सर पर हाथ फेरो और मिस्कीन को खाना खिलाओ।
फरमाने मुस्तफा ﷺ: लड़का यतीम हो तो उसके सर पर हाथ फेरने में आगे की तरफ ले आए और बच्चे का बाप हो तो हाथ फेरने में गर्दन की तरफ ले जाए।
*✍🏼ऐहतिरामे मुस्लिम* 13
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, गर होजाये यक़ीन के.. अल्लाह सबसे बड़ा है..अल्लाह देख रहा है..
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