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Sunday 4 March 2018

*अच्छे माहोल की पहचान*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! येह दुन्या रंग व नस्ल और मुख़्तलिफ़ किस्म की तहज़िंबो और तबकात में बटी हुई है। हर तबका, हर तहज़ीब और हर रंग व नस्ल का शख्श खुद को मुआशरे का बेहतरीन फर्द समझता और अपनी बरतरी का राग अलापता है मगर याद रहे कि बेहतरीन मुआशरा और एक अच्छा माहोल वोह है जिस की बुन्याद ख़ौफ़े खुदा, तक़वा और नेकी व परहेज़गारी पर काइम हो, जिस में लोग अल्लाह तआला की रिज़ा के लिये एक दूसरे से महब्बत करते और एक दूसरे के हुक़ूक़ का ख़्याल रखते हो । जिस से तअल्लुक रखने वाले अफ़राद आ'ला सीरत व किरदार के मालिक हों कि अगर कोई उन की सोहबत इख्तियार करे तो वोह भी उन्ही के रंग में रंग जाए । यकीनन अक्लमन्द शख्स वोही है जो ऐसे बेहतरिन माहोल को पहचान कर उस का हिस्सा बन जाए और उस माहोल के दीगर अफ़राद की तरह पाकीज़ा ज़िन्दगी गुज़ारे ।
       मौजूदा दौर में तब्लीगो कुरआनो सुन्नत की आलमगीर गैर सियासी तहरीक दा'वते इस्लामी का मदनी माहोल हमारे लिये एक अज़ीम ने'मत है। येह बात किसी से ढकी छुपी नही है कि दा'वते इस्लामी के मदनी माहोल की बरकत से राहे रास्त से भटके हुवे बे शुमार अफ़राद ख़ौफ़े खुदा और इश्के मुस्तफा के पैकर बन गए। दा'वते इस्लामी ने मुआशरे की इस्लाह और नोजवानों की इल्मी, अमली व अख़लाक़ी तर्बीय्यत के लिये जो इक्दामात किये है उन से लोगो की एक ता'दाद वाकिफ है। आइये खुद भी और अपनी अवलाद को भी दा'वते इस्लामी के महकते हुवे मदनी माहोल से वाबस्ता कर लीजिये। ان شاء الله दिनों दुन्या के ढेरों फवाईद हासिल होंगे ।
*✍अच्छे माहोल की बरकतें* 8-9
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*​अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...​*
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*​​DEEN-E-NABI ﷺ​*
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