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Monday 26 March 2018

*क़ुरआन में मे'राज का बयान* #04
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*मेराज जिस्मानी का सुबूत*
     इस आयत से यह भी मालुम हुई कि हुज़ूर ﷺ की ये मेराज फ़क़त रूहानी न थी बल्कि जिस्म और रूह दोनों के साथ थी।
     चुनान्चे आला हज़रत رحمة الله عليه इर्शाद फ़रमाते है कि मेराज शरीफ यक़ीनन क़तअन इसी जिस्मे मुबारक के साथ हुवा न कि फ़क़त रूहानी, जो उनके अता से उन के गुलामों को भी होता है, अल्लाह फ़रमाता है: पाकी है उसे जो रात में ले गया अपने बन्दे को।
     ये न फ़रमाया कि ले गया अपने बन्दे की रूह को।

*नॉट*
     याद रहे की मेराज शरीफ ब हालते बेदारी जिस्म व रूह दोनों के साथ वाकेंअ हुई, यही जमहुर अहले इस्लाम का अक़ीदा है और असहाबे रसूल की कसीर जमाअतें और हुज़ूर के अजिल्ला असहाब इसी के मोतकिद है।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 59
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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