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Tuesday 13 March 2018

*वाक़ीआए मे'राज का एलान* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*अल्लाह की क़ुदरते कामिला* #02
     आसमाने हिदायत के रौशन सितारों हज़राते सहाबए किराम का अमल हमारे लिये बेहतरीन राहनुमा है, इन आली रुतबा हस्तियों ने कमो बेश ज़िन्दगी के हर शोबे में मिसालि किरदार अदा किया है और इससे बाद वालों के लिये एक बेहतरीन नमूना पेश किया है कि ख्वाह केसी ही हैरान कुन बात हो और कैसा ही हैरान अंगेज़ वाक़ीआ हो अल्लाह अल्लाह और उसके रसूल के फरामीन पर सिद्क़ दिल से ईमान लाना चाहिये।
     वाक़ीआए मेराज की तस्दीक़ में अफ़ज़लुस्सहाबा हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ رضي الله عنه का मुबारक अमल मुलाहज़ा कीजिये, लेकिन इससे पहले उस वक़्त के अहवाल बयान किये जाते है जिस वक़्त मक्का में हुज़ूर ﷺ ने मेराज का एलान फ़रमाया था लेकिन क़ुफ़्रो शिर्क की नफासत से आलूदा कुफ्फार अपने तरीके के मुताबिक़ इस के मानने से इनकारी हुवे थे।
     चुनान्चे रिवायत के मुताबिक़ मेराज की सुब्ह प्यारे आक़ा ﷺ सबसे अलग थलग हो कर किसी जगह तशरीफ़ फरमा थे और बहुत फ़िक्र मन्द थे कि लोग मेराज का वाक़ीआ सुन कर यक़ीन नहीं करेंगे। इतने में अबू जहल का वहां से गुज़र हुवा, जब उसने आप ﷺ को फ़िक्र मन्दी की हालत में बेठे देखा तो पास आ कर बेठ गया और معاذ الله मज़ाक उड़ाते हुवे कहने लगा: क्या कोई नई बात हो गई? आप ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया हाँ। पूछा वो क्या? फ़रमाया: मुझे रात को सैर कराई गई। दरयाफ़्त किया कहाँ तक? फ़रमाया बैतूल मुक़द्दस तक।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 43
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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