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Tuesday 10 April 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #109
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*इब्राहिम عليه السلام ने तमाम बातिल मअबूदो का रद्द किया* #01
     इब्राहिम عليه السلام जिस क़ौम में तशरीफ़ लाये उसमे कुछ लोग बूत परस्त थे और कुछ सितारा और कुछ चाँद परस्त कुछ सूरज परस्त बल्कि नमरूद परस्तिश भी होती थी। आप ने बुतो के मअबूद होने को दलायल से बातिल किया। क़ौम ने जब दलायल से कोई फायदा हासिल न किया तो आपने बुतो को तोड़ कर अपनी परेशानी को दूर करके अपने दिलको तसल्ली दी।
     सितारा परस्त आपको भी सितारों की पूजा की दावत देने लगे आपने उनका भी रद्द फ़रमाया कि यह सितारे मअबूद बनने के क़ाबील नहीं। यह तो खुद किसी निज़ामे कुदरत के पाबन्द है उनमे मअबूद बनने की सलाहियत नहीं। मेरी तवज्जोह और मुहब्बत का मरकज़ सिर्फ मालिकुल मुल्क खलिके काइनात वहदहु ला-शरीक-लहू है, में तो इन सितारों से मुहब्बत नहीं करता और न ही उनको किसी मामला में मुअस्सीरे हक़ीक़ी मानता हूँ, जब उनसे मुहब्बत ही नहीं तो उनकी इबादत को कैसे में अच्छा समझ सकता हूँ?
     चाँद परस्तो ने आपको चाँद की इबादत की दावत दी आपने उनका भी रद्द किया कि तुम तो गुमराह हो। हक़ तो यह है की तुम खुद सीधी राह पर आ जाओ। क्या तुम मुझे राहे राह से भटकाना चाहते हो? यह नामुमकिन है।
     चाँद भी किसी के हुक्म का ताबेअ है इसकी चमक दमक भी कभी एक इलाक़ा पर कभी दूसरे पर यानी एक वक़्त में एक इलाक़ा को चमका रहा है तो दूसरा इसकी रौशनी से महरूम है तो ऐसी चीज़ जो खुद ही एक हाल पर न रह सके वह कैसे मअबूद बन सकती है।
     यह तो अल्लाह का फ़ैज़ाने है जिसने मुझे सीधी राह पर चलाकर इसपर क़ायम रहने की तौफ़ीक़ फरमा दी वरना जिस क़ौम में हर तरफ बातिल राह पर चलने वाले ही नज़र आते हों वहां एक फ़र्द का हक़ पर क़ायम रहना कैसे मुमकिन है?

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 92
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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