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Tuesday 17 April 2018

*शबे में'राज के मुशाहदात* #13
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*अज़ाबे इलाही से मुतअल्लिक़* #05

*आग की कैंचियां*
     मेराज की रात हमारे आक़ा ﷺ कुछ और लोगों के पास तशरीफ़ ले गए, उनके होंठ आग की कैंचियों से काटे जा रहे थे और हर बार कांटने के बाद वो दुरुस्त हो जाते थे। जिब्राइल ने अर्ज़ किया ये आप की उम्मत के ख़ुत्बा है, ये अपने कहे पर अमल नहीं करते थे और क़ुरआन पढ़ते थे लेकिन इसपर अमल नहीं करते थे।
      इस रिवायत से उन मुबल्लीगिन और वाइज़िन को दर्स हासिल करना चाहिये जो दूसरों को तो नेकी की दावत देते है मगर खुद को भूले हुवे है। उन्हें इस बात का एहसास ही नहीं होता की बरोज़े क़यामत उनका भी मुहासबा होगा, उनसे भी उनके आमाल व अफआल के बारे में पूछा जाएगा।
     मुहम्मद बिन ग़ज़ाली رحمة الله عليه अपने एक शागिर्द को नसीहत करते हुवे फ़रमाते है: ऐ प्यारे बेटे! इल्म के बगैर अमल पागल पन और दीवानगी से कम नहीं और अमल बगैर इल्म के नामुमकिन है। जो इल्म आज तुझे गुनाहों से दूर नहीं कर सका और अल्लाह की इताअत का शौक़ पैदा न कर सका तो याद रख! ये कल तुझे जहन्नम की आग से भी नहीं बचा सकेगा। अगर आज तूने नेक अमल न किया और गुज़रे हुवे वक़्त का तदारुक न किया तो कल क़यामत में तेरी एक ही मुकार होगी:
"हमें फिर भेज कि नेक काम करें हम को यक़ीन आ गया।"
السجدة ١٢
     तो तुझे जवाब दिया जाएगा: ऐ अहमक़ व नादान! तू वहीं से तो आ रहा है!
     रूह में हिम्मत पैदा कर, नफ़्स के खिलाफ जिहाद कर और मौत को अपने क़रीब तर जान, क्योंकि तेरी मन्ज़िल क़ब्र है और क़बस्तान वाले हर लम्हा तेरे मुन्तज़िर है कि तू कब उन के पास पहुंचेगा? खबरदार! खबरदार! डर इस बात से की बगैर ज़ादे राह के तू उनके पास पहुंच जाए।
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 88
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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