*आक़ा का महीना* #07
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*_नाज़ुक फैसले_*
मीठे और प्यारे इसलामी भाइयो ! 15 शाबानुल मुअज़्ज़्म की रात कितनी नाज़ुक है ! न जाने किस की क़िस्मत में क्या लिख दिया जाए ! बाज़ अवकात बन्दा गफलत में पड़ा रह जाता है और उस के बारे में कुछ का कुछ हो चूका होता है.
गुण्यातुत्तालिबिन में है : बहुत से कफ़न धूल कर तैयार रखे होते है मगर कफ़न पहनने वाले बाज़ारो में घूम फिर रहे होते है, काफी लोग ऐसे होते है की उन की क़ब्रे खुदी हुई तैय्यार होती है मगर उन में दफन होने वाले खुशियो में मस्त होते है, बाज़ लोग हस रहे होते है हालांके उन की मौत का वक़्त करीब आ चूका होता है. कई मकानात की तामिरात का काम पूरा हो गया होता है मगर साथ ही उन के मालिक की ज़िन्दगी का वक़्त भी पूरा हो चुका होता है.
*✍🏽गुण्यातुत्तालिबिन, जी.1 स. 348*
*✍🏽आक़ा का महीना, स. 8-9*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, गर होजाये यक़ीन के.. अल्लाह सबसे बड़ा है..अल्लाह देख रहा है..
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