*शबे में'राज के मुशाहदात* #16
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*अज़ाबे इलाही से मुतअल्लिक़* #08
*मुंह में आग के पथ्थर*
आक़ा ﷺ ने कुछ ऐसे लोग भी देखे जिनके होंट ऊंट के होंटों की तरह (बड़े बड़े) थे, उन पर ऐसे अफ़राद मुक़र्रर थे जो उनके होंट पकड़ कर आग के बड़े बड़े पथ्थर उनके मुह में डालते और वो उन के निचे से निकल जाते। जिब्राइल ने अर्ज़ किया: ये वो लोग है (फिर ये आयत पढ़ी) "जो यतीमों का माल ना हक़ खाते है वो तो अपने पेट में निरी आग भरते है।"
यतीमों का धन दौलत, साज़ो सामान, जागीर व जायदाद अल गर्ज़ किसी भी किस्म का मालो मनाल नाहक़ तौर पर लेने में आख़िरत का शदीद वबाल है। क़ुरआन व हदीस में इसकी बहुत सख्त वईदें आई है जैसा की अभी आपने मुलाहज़ा किया। ख्याल रहे की जहाँ नाहक़ तौर पर यतीमों का माल खाने और उनके साथ बुरा सुलूक करने की वजह से जहन्नम के दर्दनाक अज़ाब की वईदें है वहीं अगर उनके साथ नरमी व एहसान का बर्ताव किया जाए और शफ़क़त व मेहरबानी के साथ पेश आया जाए तो जहन्नम के हौलनाक अज़ाब से नजात की बशारत है।
फरमाने मुस्तफा ﷺ: उस ज़ात की क़सम जिसने मुझे हक़ के साथ मबऊस फ़रमाया! जिसने किसी यतीम पर रहम किया, उसके साथ नर्म गुफ्तगू की, उसकी यतिमि व कमज़ोरी पर तरस खाया और अल्लाह के अता किये हुवे माल दौलत की फ़ज़ीलत की वजह से अपने पड़ोसी पर तकब्बुर न किया तो अल्लाह बरोज़े क़यामत उसे अज़ाब न देगा।
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 95
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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