*शबे में'राज के मुशाहदात* #14
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*अज़ाबे इलाही से मुतअल्लिक़* #06
*आग की शाखों से लटके हुवे लोग*
मेराज की शब् हुज़ूर ﷺ ने दोज़ख में कुछ ऐसे लोग भी देखे जो आग की शाखों से लटके हुवे थे। जिब्राइल अर्ज़ किया: ये वो लोग है जो दुन्या में अपने वालिदैन को गलियां देते थे।
याद रखिये! वालिदैन को सताना और उन्हें इज़ा पहुंचाना हराम और जहन्नम में ले जाने वाला काम है, अल्लाह ने क़ुरआन में वालिदैन को झिड़कने और उन्हें उफ़ तक कहने से मना फ़रमाया है।
"तो उनसे हूँ (उफ़ तक) न कहना और उन्हें न झिड़कना और उनसे ताज़ीम की बात कहना."
بنى اسراىٔيل، ٢٣
वालिदैन की नाफ़रमानी व इज़ा रसानी की उखरवी सज़ा तो है ही, दुन्या में भी इब्रतनाक सज़ा भुगतनी पड़ती है, बारहा देखा गया है कि जो अपने वालिदैन को सताते और उन्हें तकलीफ पहुंचाते है खुद अपनी ही अवलाद के हाथो ज़लिलो रुस्वा हो कर ज़िन्दगी गुज़ारते है।
फरमाने मुस्तफा ﷺ: हर गुनाह को अल्लाह जिस के लिये चाहता है बख्श देता है मगर वालिदैन की नाफ़रमानी व इज़ा रसानी को नहीं बख्शता बल्कि ऐसा करने वाले को उस के मरने से पहले दुन्या की ज़िन्दगी में जल्द ही सज़ा दे देता है।
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 92
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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