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Sunday 15 April 2018

*नमाज़ का तरीक़ा* #96
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*दौराने नमाज़ दूसरे से आयते सज्दा सुनली तो ?*
     रमज़ानुल मुबारक में तरावीह या शबीना में अगर्चे शरीक न हो बेशक अपनी ही अलग नमाज़ पढ़ रहे हो या नमाज़ में भी न हो तो आयते सज्दा सुन लेने से आप पर भी सज्दए तिलावत वाजिब हो जाएगा।
     काफिर या ना बालिग से आयते सज्दा सुनी तब भी सज्दए तिलावत वाजिब हो गया।
     नमाज़ में आयते सज्दा पढ़ी तो उसका सज्दा नमाज़ ही में वाजिब है बैरूने नमाज़ नही हो सकता और क़सदन न किया तो गुनाहगार हुवा तौबा लाज़िम है।
     अलबत्ता बालिग़ होने के बाद बैरूने नमाज़ जितनी बार भी आयाते सज्दा पढा या सुन कर सज्दा वाजिब हुवा और अभी तक सज्दा न किया हो उन का गलबए ज़न के एतिबार से हिसाब लगा कर उतनी बार बा वुज़ू सज्दए तिलावत करना लाज़िम है।
*✍🏼नमाज़ के अहकाम* स.213
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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