*आक़ा ﷺ का महीना* #02/19
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*_सहाबए किराम का जज़्बा_*
हज़रते अनस बिन मालिक رضي الله تعالي عنه फरमाते है : माहे शाबान का चाँद नज़र आते ही सहाबए किराम तिलावते कुरआन की तरफ खूब मुतवज्जेह हो जाते, अपने अम्वाल् की ज़कात निकालते ताके गुरबा व मसाकिन मुसलमान माहे रमज़ान के रोज़े के लिये तैयारी कर सके.
हुक्काम कैदियों को तलब करके जिस पर हद (सज़ा) क़ाइम करना होती उस पर हद क़ाइम करते, बकिय्या में से जिन को मुनासिब होता उन्हें आज़ाद कर देते.
ताजिर अपने कर्जे अदा कर देते, दुसरो से अपने कर्जे वसूल कर लेते। (यु माहे रमज़ानुल मुबारक से क़ब्ल ही अपने आप को फारिग कर लेते)
और रमज़ान का चाँद नज़र आते ही गुस्ल कर के (बाज़ हज़रात) एतिकाफ में बैठ जाते।
*✍🏽गुण्यतुल तालिबिन जी.1 स.341*
*✍🏽आक़ा का महीना, स. 3*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, गर होजाये यक़ीन के.. अल्लाह सबसे बड़ा है..अल्लाह देख रहा है..
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