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Sunday 6 May 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*खाना काबा की तारीख* #01
    
*आदम عليه السلام का काबा की तामीर करना*
     इब्ने असाकर वगैरा से तफ़सीर अज़ीज़ी में नक़्ल किया गया है हज़रत आदम عليه السلام जब जन्नत से ज़मीन पर तशरीफ़ लाये तो बारगाहे इलाही में अर्ज़ किया: खुदाया में यहाँ न तो मलायका की तस्बीह व तकबीर सुनता हूँ और न कोई इबादतगाह देखता हूँ जेसे की अस्मान में बैतूल मामूर देखता था जिसके इर्द गिर्द मलायका तवाफ़ करते थे।
     अल्लाह ने इर्शाद फ़रमाया: जाओ जहां हम निशान बताते है वहां काबा बनाकर उसके इर्द गिर्द तवाफ़ भी कर लो और उसकी तरफ नमाज़ भी अदा करो।
     जिब्राइल عليه السلام, आदम عليه السلام की रहबरी के लिये उनके साथ चले और उन्हें वहां लाए जहाँ से ज़मीन बनी थी, यानी काबा की जगह से ही सबसे पहले पानी पर झाग, फिर झाग से ज़मीन की इब्तेदा हुई। जिब्राइल ने वहां अपना पर मार कर सातवी ज़मीन तक उसकी बुन्याद डाल्दी, उसको मलायका ने पांच पहाड़ो के पथ्थरों से भरा कोहे लिबनान, कोहे तुर, जुदी हिरा और तुरे सीना से बुन्याद भरकर निशान के लिये हर चिहार तरफ को दिवार उठा दी। उस तरफ मुह करके आदम عليه السلام नमाज़ पढ़ते रहे और उसका तवाफ़ भी करते रहे।
     बाज़ रिवायत में आया है कि बैतूल मामूर को उस बुन्याद पर रखा दिया गया, तूफान नूह में बैतूल मामूर को उठा लिया गया और काबा की जगह ऊँचे टीले की तरह रह गई, लोग यहाँ आते रहे और बरकत की दुआ मांगते रहे।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 109
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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