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Saturday 5 May 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #133
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*इस्माइल عليه السلام का इब्राहिम عليه السلام को मशवरा देना*
     इस्माइल عليه السلام ने अपने बाप से कहा, ऐ मेरे अब्बा जान! ज़िबह से पहले मुझे बांध देना ताकि में तड़पूं नहीं, अपने कपड़ों को मुझ से बचा कर रखना ताकि आप के कपड़े मेरे खून से आलूदा न हो जाये और मेरी वालिदा उन्हें देखकर परेशान न हो, मेरे हलक पर छुरी जल्दी जल्दी चलाना ताकि मुझ पर मौत आसानी से वाकेय हो जाये, जब मेरी वालिदा के पास जाना तो मेरा सलाम कहना।
     इन बातो के बात बाप बेटे ने एक दूसरे को देखा, बाप ने बेटे का बोसा लिया, महब्बत के आसूं छलक पड़े, लेकिन अल्लाह के हुक्म बजा आवरी में कोई कोताही नहीं की।
     तो जब इन दोनों ने हमारे हुक्म पर गर्दन रखि और बाप ने बेटे को माथे के बल लिटाया।
     अल्लाह की तरफ से एक मोटा ताज़ा सींगों वाला सफेद स्याही माइल दुंबा हज़रत इस्माइल عليه السلام का फिदया दे दिया गया और आपको ज़िबह से बचाकर भी ज़िबह हो जाने का अज्र व सवाब अता किया और क़यामत तक आपको ज़बीहुल्लाह (अल्लाह की रज़ा के लिये ज़बह होने वाला) के लक़ब से मुत्तसिफ कर दिया गया।
     जिब्राइल जब फिदया लेकर आये तो ख्याल किया की इब्राहिम عليه السلام कहीं जल्दी न कर दे तो आपने पढ़ा अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर। इब्राहिम عليه السلام ने जब आसमानों की तरफ सर उठाया तो देखा कि जिब्राइल फिदया ला रहे है तो पढ़ा ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर। जब इस्माइल ज़बीहुल्लाह ने सुना तो आपने पढ़ा अल्लाहु अकबर वलिल्लाहिल हम्द।
     इन तीनों हज़रात के मजमुइ कलाम को तकबिराते तशरीक़ की सूरत में ता क़यामत नमाज़ियों पर जिल हिज्जा की 9 तारीख की नमाज़े फज्र से लेकर 13 की नमाज़े असर तक वाजिब कर दिया गया ताकि यह यादगार क़ायम रहे।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 106
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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