*तज़किरतुल अम्बिया* #144
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*लूत عليه السلام की क़ौम की खराबियां*
सबसे बड़ी बुराई उनमे लिवातत थी (मर्द मर्द से बुराई करने की आदत उनमे कसरत से पाई जाती थी) और मुसाफिरों और गुज़रने वालों के रस्ते में बैठ जाना उनका रास्ता रोकना और जबरदस्ती उनसे बुराई का मूर्तक़िब होना, रास्ता में बैठ कर डाका ज़नी, लोगों को क़त्ल करना और उनका माल लूटना, उनकी बुरी आदत में शामिल था।
कबूतर बाज़ी यानी पूरा पूरा दिन उनको और शर्त पर बाज़ी लगाने में गुज़ार देना, आज भी लोग इस बुराई के मूर्तकिब हो रहे है।
औरत की तरह उँगलियों के पोरे मेंहदी से रँगना। ख्याल रहे की मर्द का बतौर दवा मेंहदी लगाना जायज़ है लेकिन ज़ेब व ज़ीनत के लिये मना है।
हाथो से कंकरियां इधर उधर फेंकना, गुज़रने वालों को तंग करना, इसी तरह बन्दूकों से कंकरियां फेंककर लोगो को सताना।
एक दूसरे को थप्पड़ मारना, उधर से एक आया उसने दूसरे को थप्पड़ मार दिया और दुसरा आया उसने थप्पड़ मार दिया, यह बेहूदा फैल उनका मज़ा हुआ करता जो दरहक़ीक़त उनके ओबाश होने की अलामत थी।
महफ़िल में लोगो के सामने बुलन्द आवाज़ से हवा खारिज करना वह अपनी शान समझते थे हलाकि शुर्फा के लिये यह फैल बाइस शर्म होता है। बे-इख़्तियार का बुलन्द आवाज़ से हवा खारिज करना या गैस वगैरह की बिमारीमे मुब्तला होने की वजह से न रोक सकना इन सूरतो में माफ़ है, उनके अहकाम अलग होते है।
मज़ा करते हुए लोगों के सामने नंगा होना। मज़ा में फहश कलामी और एक दूसरे को गाली देना, यह बुराई भी आज के ओबाश लड़कों में आम तौर पर पाई जाती है, वह आपने आप को मोर्डन समझते है।
अलगर्ज हर किस्म की बे हयाई उस क़ौम में मौजूद थी हया के खिलाफ हर फैल उनके नज़्दीक पसन्दीदा समझा जाता था।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 115
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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