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Wednesday 16 May 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #143
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*लूत عليه السلام ने क़ौम को इबादत की दावत नहीं दी*
     हज़रत लूत عليه السلام ने क़ौम को सिर्फ बुराइयों से बाज़ रहने की तबलीग की, लेकिन उनको इबादत करने का हुक्म इस तरह नहीं दिया जेसे इब्राहिम عليه السلام ने दिया, इसकी वजह यह थी की इब्राहिम عليه السلام ने क़ौम को अल्लाह की वहदानिय्यत और इबादत की तबलीग फरमा दी थी और यह बहुत मशहूर हो चुकी थी।
     लूत عليه السلام इब्राहिम عليه السلام के ज़माने में ही थे और इलाक़ा भी क़रीब क़रीब था और आपकी क़ौम को आपने दोबारा मशहूर उमुर की तरफ तवज्जोह देने के बजाए अपनी क़ौम को सिर्फ उनकी खुसूसी बुराइयों से ही रोका, ताकि यह क़ौम दुन्यवी और उखरवी अज़ाब से बच जाये, लेकिन क़ौम बाज़ न आई आखिरकार उन पर अज़ाब मुसल्लत कर दिया गया।
     आपने क़ौम को कहा: तुम बेशक बे हयाई का काम करते हो की तुमसे पहले दुन्या भर में किसी ने न किया, क्या तुम मर्दों से बद फैली करते हो? और अपनी मजलिस में बुरी बाते करते हो? उसकी क़ौम का कुछ जवाब न हुआ मगर यह की बोले हम पर अल्लाह का अज़ाब लाओ अगर तुम सच्चे हो।
     आप عليه السلام क़ौम को अज़ाब से बचाने की फ़िक्र में है लेकिन क़ौम कभी कहती है तुम अज़ाब ले आओ और कभी कहती है हम तुम्हे अपने शहर से निकाल देंगे।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 114
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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