بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*नमाज़ से महब्बत*
*शैतान ने नमाज़ के लिये जगाया*
हज़रते अल्लामा जलालुद्दीन रूमी رحمة الله عليه मसनवी शरीफ में बयान फरमाते है: एक रोज़ अमीरे मुआविया رضي الله عنه के महल में दाखिल हो कर किसी ने आप को जमाज़े फज्र के लिये बेदार किया तो आप رضي الله عنه ने दरयाफ्त फ़रमाया: तू कौन है? और किस लिये तूने मुझे जगाया है? तो उसने जवाब दिया: ऐ अमीरे मुआविया में शैतान हु। आप ने हैरान जो कर पूछा: तेरा काम तो इंसान से गुनाह कराना है और तूने मुझे नमाज़ के लिये जगा कर मुझे नेक अमल करने का मौक़ा दिया, इसकी वजह क्या है? शैतान हिलों बहानों से बात टालने लगा, कभी अपने नेक होने का दावा करता और कभी कहता कि मैने अल्लाह की बारगाह में तौबा करली है, कभी कहता कि मै नेकी की दावत देना पसन्द करता हूँ तो कभी कहता कि में तो हमेशा से ही नेक हु, मगर अमीरे मुआविया رضي الله عنه ने उसे पकड़े रखा और जब तक हक़ीक़ते हायल से आगाह न हुवे न छोड़ा, बिल आखिर उस मर्दुद ने बता ही दिया कि नमाज़े फज्र क़ज़ा हो जाती तो आप ख़ौफ़े खुदा से इस क़दर रोते ओर इस कसरत से तौबा व इस्तिगफर करते कि खुदा की रहमत को आप की बे क़रारी व गिरया व ज़ारी पर रहम आ जाता और वो आपकी क़ज़ा नमाज़ क़बूल फरमा कर अदा नमाज़ से हज़ारों गुना ज्यादा अज्रो सवाब आता फरमा देता चूंकि मुझे खुदा के नेक बन्दों से बुग़ज़ों हसद है इस लिये मेने आप को जगा दिया ताकि आपको कुछ ज़्यादा सवाब न मिल सके।
*✍फ़ैज़ाने अमीरे मुआविया* 60
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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