بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
अगर दौराने वुज़ु किसी उज़्व के धोने में शक वाक़ेअ हो और अगर ये ज़िन्दगी का पहला वाक़ेअ है तो उसको धो लीजिये। और अगर अक्सर शक पड़ा करता है तो इसकी तरफ तवज्जोह न दीजिये। इसी तरह अगर बादे वुज़ु भी शक पड़े तो इसका कुछ ख़याल मत कीजिये।
आप बा वुज़ु थे अब शक आने लगा के पता नहीं वुज़ु है या नहीं, ऐसी सूरत में आप बा वुज़ु है, क्यू की सिर्फ शक से वुज़ु नहीं टूटता। वस्वसे की सूरत में एहतियातन वुज़ु करना एहतियात नहीं इत्तिबाए शैतान है।
*✍🏽बहारे शरीअत, जी-1, स. 311*
यक़ीनन आप उस वक़्त तक बा वुज़ु है जब तक वुज़ु टूटने का ऐसा यकीन न हो जाए के कसम खा सके।
कोई उज़्व धोने से रह गया है मगर ये याद नहीं के कौन सा उज़्व था तो बाया (उल्टा) पाउ धो लीजिये।
*✍🏽दुर्रे मुख्तार, जी-1, स. 13*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, स. 27*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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