بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
जब कोई औरत इंतिक़ाल कर जाती है तो उसके आस पास हम उसके रिश्तेदारों को देखते हैं की वो कहते हैं इसको ढक दो, चेहरा छिपा दो, कोई गेर मेहरम इसको देखे नहीं.
तो क्या हमारी ज़िंदा औरतें, मुर्दा औरतों से ज़्यादा हकदार नहीं है कि उनको भी ढक कर और छिपा कर पर्दे मे रखा जाए ???
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