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Sunday 8 July 2018

*ज़िकरुल्लाह की फ़ज़ीलत* #01


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     फरमाने मुस्तफा ﷺ : अल्लाह फ़रमाता है: में अपने बन्दे के गुमान के मुताबिक़ मुआमला करता हूँ और जब वो मुझे याद करता है तो में उस के साथ होता हूँ। पस अगर वो मुझे जमाअत में याद करे तो में उसे उससे बेहतर जमाअत में याद करता हूँ और अगर वो मुझे दिल में याद करे में भी उस को अकेला याद करता हूँ, अगर वो एक बालिश्त मेरे क़रीब आता है तो मेरी रहमत एक हाथ उस के क़रीब आ जाती है, और अगर वो एक हाथ मेरे क़रीब आता है तो मेरी रहमत दोनों बाज़ुओं के फैलाव के ब क़दर उस के क़रीब हो जाती है। और अगर वो चल कर मेरी तरफ आता है तो मेरी रहमत दौड़ती हुई उस की तरफ आती है।
*✍🏼सहीह मुस्लिम*

     फरमाने मुस्तफा ﷺ: तुम में से जो शख्स रात में इबादत करने से आजिज़ हो और दुश्मन से जिहाद करने में कमज़ोर हो और माल खर्च करने में कंजूस हो तो उसे चाहिये कि अल्लाह का ज़िक्र कसरत से करे।
*✍🏼शोएबुल ईमान*
*✍🏼आंसुओ का दरिया* 23
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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