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Monday 30 July 2018

*वीराने में मुलाक़ात* #02


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

अचानक मेने एक गमगीन आवाज़ सुनी जो किसी ग़मज़दा के दिल से निकल रही थी वो शख्स कह रहा था की "ऐ मेरे अल्लाह, ऐ मेरे आक़ा व मौला! अगर तेरी रिज़ा इसी में है तो इसमें इज़ाफ़ा फरमा, ताकि ऐ अर-हमर्राहीमिन! तू मुझसे राज़ी हो जाए। ये सुन कर में उस आवाज़ की सिम्त चल दिया तो मेने एक हसीनो जमील शख्स को देखा जो रेत पर पड़ा हुवा था और बहुत से गीध उसे घेरे हुए थे और उसका गोश्त नोचना चाहते थे। मेने उसे सलाम किया तो इस ने सलाम का जवाब दे कर कहा की "ऐ ज़ुन्नुन! जब ज़ादे राह खत्म हो गया और पानी बह गया तो तूने हलाकत और फना का यक़ीन कर लिया।"

     में उसके सिरहाने बैठ गया और उसकी हालत देख कर मेरा दिल भर आया और रोने लगा। अचानक खाने का एक प्याला मेरे सामने रख दिया गया फिर उस शख्स ने अपनी एड़ी ज़मीन पर रगड़ी तो एक चश्मा फुट पड़ा उसका पानी दूध से ज़्यादा सफेद और शहद से ज़्यादा मीठा था। उसने मुझ से कहा: "ऐ ज़ुन्नुन! खा पि लो क्योंकि तुम्हारा बैतूल हराम पहुंचना निहायत ज़रूरी है, मगर ऐ ज़ुन्नुन! मेरा एक काम ज़रूर करना अगर तुम मेरा काम कर दोगे तो तुम्हे इसका अज़्रो सवाब मिलेगा।" मेने पूछा: वो काम क्या है? फ़रमाया: जब में मर जाऊं तो मुझे गुस्ल दे कर दफना देना और इन वहशी परिन्दों से छुपा कर यहाँ से चले जाना फिर जब तुम हज अदा कर लो तो बगदाद शहर चले जाना, जब तुम बाबे ज़ाफ़रान में दाखिल होंगे तो तुम्हे वहा कुछ बच्चे खेलते हुए नज़र आएँगे वहा एक कमसिन जवान को पाओगे जिसे अल्लाह के ज़िक्र से कोई चीज़ गाफिल न करती होगी, उसके चेहरे पर आंसुओं की वजह से लकीरें पड़ गई होंगी, तुम उसे मिलना वो मेरा बेटा, मेरी आँखों की ठंडक है।


बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله

*✍🏼आंसुओं का दरिया* 55

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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