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Tuesday 31 July 2018

*वीराने में मुलाक़ात* #03


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     हज़रते ज़ुन्नुन رحمة الله عليه फ़रमाते है की जब वो बात करके फारिग हुए तो मेने उन्हें कलिमाए शहादत पढ़ते हुए सूना फिर उन्होंने एक आह भरी और इस फ़ानी दुन्या से रुख्सत हो गए।

     मेने اِنَّ لِلّٰهِ وَاِنَّٓ اِلَيْهِ رَاجِعُوْنَ पढ़ा। मेरे सामान में एक क़मीज़ थी जिसे मेने बहुत सम्भाल कर रखा था। फिर मेने उन्हें उस पानी से गुस्ल दिया और कफ़न पहना कर रेत में दफना दिया और बैतूल हराम की तरफ चल दिया। हज अदा करने के बाद हुज़ूर ﷺ के रोज़ए अनवर की ज़ियारत के बाद में बगदाद पहुंचा। मेने वहा कुछ बच्चों को खेलते हुए पाया, जब मेने नज़र दौड़ाई तो उस नौजवान को एक जगह बैठे हुए पाया जिसे कोई क़ीमती चीज़ भी अल्लाह के ज़िक्र से गाफिल न कर सकती थी। उसके चेहरे पर गम के आसार वाज़ेह थे और उसके रुखसारों पर आंसुओं की वजह से दो लकीरें पड़ गई थी, वो कुछ अशआर पढ़ रहा था।

     तमाम लोग ईद की खुशियों में मग्न हो गए और में वाहिद व बे नियाज़ अल्लाह से खुश हूं।

     ...सब लोगों ने ईद के लिये कपड़े रंगे ओर में ने ज़िल्लत ओर बदली रंगत वाले कपड़े रंगे है।

     ...तमाम लोगों ने ईद के लिये ग़ुस्ल किया है और में ने जिगर को आंसुओं के साथ ग़ुस्ल दिया है।


वो अशआर अगली पोस्ट में..أن شاء الله

*✍🏼आंसुओं का दरिया* 56

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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