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Saturday 7 July 2018

*हुकूमते अमीरे मुआविया के बुनियादी उसूल* #04


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*बिला तकल्लुफ इस्तिफादा*
     हज़रते अमीरे मुआविया رضي الله عنه ने मसाइल को बर वक़्त हल करने के लिये पैगाम रसानी के निज़ाम को मज़ीद बेहतर फरमा दिया था जिस की बदौलत आप शाम जैसे दूर दराज़ मुल्क में तशरीफ़ फरमा हो कर भी मक्का व मदीना में मौजूद सहाबा से ब ज़रिआए मकतुब बर वक़्त इस्तिफादा फ़रमाया करते। आप का ये अमल इस बात की दलील है कि कामयाब हुक्मरानी का एक नुस्खा ये भी है कि मुत्तक़ी ओर परहेज़गार हज़रात से अहम मसाइल मर बिला तकल्लुफ इस्तिफादा किया जाए, इस कि बरकत से मुश्किलात का ख़ातिमा किया जाए।

*तक़सीम कारी फरमाने वाले*
     हज़रत अम्र बिन मुर्रह رضي الله عنه ने अमीरे मुआविया رضي الله عنه से फ़रमाया: में ने हुज़ूर ﷺ को फरमाते सुना कि जिसे अल्लाह मुसलमानों की किसी चीज़ का वाली ओर हाकिम बनाए फिर वो मुसलमानों की हाजत व ज़रूरत ओर मोहताजी के सामने हिजाब कर दे तो अल्लाह उसकी हाजत व ज़रूरत ओर मिहताजी के सामने आड़ फरमा देगा। चुनान्चे अमीरे मुआविया رضي الله عنه ने लोगों की हाजत पर एक आदमी मुक़र्रर फरमा दिया।
     मुफ़्ती अहमद यार खान नईमी رحمة الله عليه इस हदीस के तहत फरमाते है: अमीरे मुआविया ने हुज़ूर का फरमान सुना कर एक महकमा बना दिया जिसके मा तहत हर बस्ती में एक वो अफसर रखा गया जो लोगों की मामूली ज़रूरतें खुद पूरी करे और बड़ी ज़रूरतें अमीरे मुआविया तक पहुचाए। फिर हमेशा उस अफसर से बाज़पुर्स की, की वो अपने फ़राइज़ का अंजाम दही में कोताही तो नहीं करता।
*✍फ़ैज़ाने अमीरे मुआविया* 108
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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