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Monday 30 July 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #204


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*मिस्र से क़मीज़ की रवानगी और याक़ूब عليه السلام को खुशबू आना* #02

     जब मिस्र से क़मीज़ याक़ूब عليه السلام के घर लाने के लिये निकाली गई तो आपने उसकी खुशबू सूंघ ली। आपने अपने अहले खाना को कहा मुझे युसूफ की खुशबू आ रही है, अगर तुम मेरी राए को जईफ न समझो।

     याक़ूब عليه السلام ने इतनी दूर से खुशबू कैसे सूंघ ली? इसका जवाब वाज़ेह है कि अल्लाह की कुदरत से कोई बअईद नहीं। और ख़ुसूसन जब आपको क़मीज़ से उठने वाली जन्नत की खुशबू आई तो आपने फ़रमाया ये खुशबू उस जन्नती क़मीज़ के बगैर किसी ओर की नहीं हो सकती। तो अहले खाना ने कहा खुदा की क़सम आप उसी पुरानी खुद रफ्तगी में है। फिर जब उनके बेटे आये और वो क़मीज़ आपके चेहरे पर डाली तो आपकी आंखों की बिनाई वापस आ गई, तो आपने फ़रमाया में नहीं कहता था कि मुझे अल्लाह की तरफ से वो मालूम है जो तुम नहीं जानते।

     याक़ूब عليه السلام ने पूछा तुम युसूफ को कैसे हाल में छोड़ा है? तो उन्होंने कहा वो तो मिस्र के बादशाह है। आपने फ़रमाया: मुझे बादशाहत से क्या गर्ज़? यह बताओ तुमने उसे किस दीन पर छोड़ा? कहा इस्लाम पर, आपने फ़रमाया: अब नेअमत की तकमील हुई कि खुशखबरी कामिल हासिल हो गई।

     अब आपने अहले खाना और तमाम बेटों को कहा: जब मैने तुम्हे मिस्र भेजा था और तुम्हे हुक्म दिया था कि युसूफ को तलाश करो और मैने तुम्हे अल्लाह की रहमत से नाउम्मीद होने से मना किया था, तो उस वक़्त मेने तुम्हें क्या कहा था कि जो में जानता हूं तुम नहीं जानते। यानी मुझे यह मालूम था कि युसूफ ज़िन्दा है।

*✍तज़किरतुल अम्बिया* 166

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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