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Friday 20 July 2018

*अदबे रसूल (ﷺ)* #2


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
  
     आप ﷺ के सामने बैठते तो फर्ते अदब से तस्वीर बन जाते, अहादीश में इसी हालात का नक़्शा इन अल्फ़ाज़ में खींचा गया हैं,
*كانمایٰ رءُ و سهم الطير*
    या'नी सहाबा आप ﷺ के सामने इस तरह बैठते थे गोया उन के सरों पर चिड़िया बैठी होती।
    एक बार आप ﷺ कोई निज़ाअ चुकाने के लिए क़बीला बनू अम्र बिन औफ में तशरीफ़ ले गए। नमाज़ का वक़्त आ गया तो मुअज़्ज़िन हज़रते अबू बक्र रदिअल्लाहो तआला अन्हो की ख़िदमत में आया कि नमाज़ पढा दीजिए। वोह नमाज़ पढ़ा रहे थे कि सरकार ﷺ आ कर शरीके जमाअत हो गए।
    लोगों ने *तस्फिक* की (बाए हाथ की पुश्त पर दाएं हाथ की उंगलियां इस तरह मारना कि आवाज़ पैदा हो।) हज़रते अबू बक्र रदिअल्लाहो तआला अन्हो अगर्चे किसी तरफ मुतवज्जेह न होते थे, ताहम जब लोगों ने मुत्तसिल तस्फीक की, तो मुद कर देखा कि रसूलुल्लाह ﷺ हैं, आप ﷺ ने इशारा किया कि आप अपनी जगह क़ाइम रहो। उन्होंने पहले खुदा का शुक्र किया कि आप ﷺ ने इन की इमामत को पसन्द फ़रमाया, फिर पीछे हट आए और आप ﷺ ने आगे बढ़ कर नमाज़ पढाई, नमाज़ से फ़ारिग़ हो कर फ़रमाया कि जब मैं ने हुक्म दिया तो तुम क्यूं अपनी जगह से हट आए?  बोले कि इब्ने अबी क़हाफ़ा का मुंह न था कि रसूलुल्लाह ﷺ के आगे नमाज़ पढ़ाए। 
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 171
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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