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Monday 30 July 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-3, आयत, ②④*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     फिर अगर न ला सको और हम फ़रमाए देते है कि हरगिज़ न ला सकोगे तो डरो उस आग से जिसका ईंधन आदमी और पत्थर हैं (7) तैयार रखी है काफ़िरों के लिये (8)


*तफ़सीर*

     (7) पत्थर से वो बुत मुराद हैं जिन्हे काफ़िर पूजते हैं और उनकी महब्बत में क़ुरआने पाक और रसूले करीम का इन्कार दुश्मनी के तौर पर करते हैं.

     (8) इस से मालूम हुआ कि दोज़ख पैदा हो चुकी है. यह भी इशारा है कि ईमान वालों के लिये अल्लाह के करम से हमेशा जहन्नम में रहना नहीं.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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